1 नव॰ 2010

ये मच्छर [ शिशु ...गीत ]

भन भन करते आते मच्छर,
मंडराते हैं पास में
यहाँ-वहाँ और गली-गली,
क्या खोली मकान में
सुबह शाम हो दिन या रात,
जुट जाते ये काम में
ख़ून चूसना इनको भाता,
शोर मचाते कान में
रुका हुआ पानी है ख़तरा,
साफ़-सफाई रक्खो भइया
ये हैं रोगों के बाराती,
आफ़त डाले जान में।

-मनोहर चमोली 'मनु'
पोस्ट बॉक्स-23,
पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड - 246001 मो.- 9412158688
manuchamoli@gmail.com

2 टिप्‍पणियां:

यहाँ तक आएँ हैं तो दो शब्द लिख भी दीजिएगा। क्या पता आपके दो शब्द मेरे लिए प्रकाश पुंज बने। क्या पता आपकी सलाह मुझे सही राह दिखाए. मेरा लिखना और आप से जुड़ना सार्थक हो जाए। आभार! मित्रों धन्यवाद।