अपने भीतर जाकर देखूँ
तेरे ख़त जलाकर देखूँ
ख़ुद को फिर रुलाकर देखूँ
तू कितना पानी में है
तेरे भीतर आकर देखूँ
अँगुली किस पर क्यों उठाऊँ
अपने भीतर जाकर देखूँ
माँ ने कैसे पाला होगा
पैसे चार बचाकर देखूँ
मुझको भी कुछ दाद मिले
मैं भी शेर चुराकर देखूँ
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-मनोहर चमोली ‘मनु’
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