9 नव॰ 2015

नन्हे सम्राट दिसंबर 2015 प्रदूषण रहित नई दीवाली


प्रदूषण रहित नई दीवाली  


मनोहर चमोली ‘मनु’

हर बार की तरह मोतीवन में दीवाली को हर्ष और उल्लास से मनाये जाने की तैयारी शुरू हो गई थी। इसके लिए पीपल के पेड़ के नीचे बैठक बुलाई गई। शेर की तबियत खराब थी। बैठक की अध्यक्षता हाथी कर रहा था। 
हाथी ने चिंघाड़ते हुए कहा-‘‘यह हमारी नाक का सवाल है। मोतीवन हमेशा देर रात तक पटाखे जलाता है। आस-पास के जंगलवासी हमारी दीवाली देखने के लिए आते हैं। हर कोई धूम-धड़ाके से दीवाली मनाएगा।’’
चूहा उठ खड़ा हुआ। बोला-‘‘ये इक्कसवीं सदी है। दीवाली को नये तरीके से मनाने का वक्त आ गया है। क्या जरूरी है कि हम सैकड़ों पटाखे जलाकर ही अपना दम-खम दिखायें। क्या सादगी से दीवाली नहीं मनाई जा सकती? मैं न तो एक पटाखा खरीदूंगा और न ही अपने आस-पास किसी को भी धूम-धड़ाका करने दूंगा।’’ 
यह कहकर चूहा चला गया। बैठक बिना नतीजे के समाप्त हो गई। लोमड़ और सियार दौड़कर शेर की मांद पर जा पहुंचे। उन्होंने बढ़ा-चढ़ाकर बैठक का सारा किस्सा शेर को सुनाया। 
बीमार शेर कराहते हुए चिल्लाया-‘‘’मोतीवन में मेरे आदेश के बिना पत्ता भी नहीं हिलना चाहिए। फिर भला किस की हिम्मत हुई जिसने यह कहलवा दिया कि दीवाली में धूमधड़ाका नहीं होगा। बताओ।’’ राजा शेर सिंह ने दहाड़ते हुए पूछा।
लोमड बोला-‘‘ अभी सारा किस्सा सुनाया तो आपको। ये सब चूहे  का किया-धरा है। वह घर-घर जाकर अफवाह फैला रहा है कि यदि हम दीवाली इसी तरह मनाते रहे तो यह धरती खत्म हो जाएगी। यदि हम बम-पटाखे जलाते रहे तो एक दिन हम सब मर जाएंगे। आप भी।’’
शेर दहाड़ा। उसने आदेश देते हुए कहा-‘‘ ये बात है। ऐसा करो उस चूहे को जिन्दा मेरे सामने पेश किया जाए। अभी के अभी। मैं भी तो सुनूं कि वह पागल क्यों हो गया है। वह कहता क्या है?’’
चूहे ने बैठक में लोमड और रंगी सियार की हंसी उड़ाई थी। कुछ जानवर तो चूहे की बात का समर्थन भी करने लगे थे। लोमड़ और सियार को इसी अवसर की तलाश थी। वह दौड़कर चूहे  को पकड़ कर ले आए। चूहा भी निडर होकर शेर से मिलने चला आया।
रंगी सियार ने शेर से कहा-‘‘ये लीजिए महाराज। यह है आपका गुनहगार। हम सभी का गुनहगार। इसी ने मोतीवन में घूम-घूम कर कहा है कि हमें बम-पटाखे नहीं जलाने चाहिए। यह कहता है कि मोमबत्ती जलाओ। दीये जलाओ। अंधकार को भगाओ। बस। ’’
शेर चूहे को घूरते हुए दहाड़ा-‘‘हम्म। तो तुम हो। पिद्दी भर के चूहे। अरे मूर्ख। दीवाली क्या रोज-रोज आती है? दीवाली साल में एक ही बार तो आती है। मोतीवन में धूम-धड़ाका नहीं होगा तो आसपास के जंगलवासी क्या कहेंगे। क्या हम इतने कंगाल हो गए हैं? तेरे पास बम-पटाखे नहीं हैं, तो क्या हुआ। डरपोक मुझसे ले जाना। ’’
 चूहे ने विनम्रता से जवाब दिया-‘‘ तभी तो कह रहा हूं एक दिन में ही हम अपने मोतीवन का कबाड़ा कर देते हैं। दीवाली सादगी से मनाएंगे तो हमारा मोतीवन और भी खुशहाल हो जाएगा। दूसरी बात यदि महाराज। दीपावली में बम-पटाखे जलाते रहे तो एक दिन ऐसा आएगा कि आप भूखे ही रह जाओगे।’’
शेर उठ खड़ा हुआ। वह चैंकते हुए बोला-‘‘मैं भूखा रह जाऊंगा? कैसे? ये तू क्या अनाप-शनाप बक रहा है। तेरा दिमाग तो नहीं चल गया?’’
चूहे ने कहा-‘‘दीपावली में बम पटाखे जलाने से ध्वनि प्रदूषण होता है। कई छोटे-बड़े जीव-जन्तु तो डर के मारे कई दिनों तक भूखे-प्यासे ही रह जाते हैं। सैकड़ो हैं जिनकी आंखों की रोशनी मंद पड़ जाती है। सैकड़ों के कान हमेशा के लिए बहरे हो जाते हैं। दहशत से कई तो मर भी जाते हैं। आपने देखा कई जानवर तो कई दिनों तक गायब से ही हो जाते हैं।’’
शेर दहाड़ा-‘‘उससे मुझे क्या? कोई दीवाली मनाये न मनाये। डरे न डरे। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस पहले तुम तो यह बताओ कि मैं भूखा भला क्यो रह जाऊंगा? दीपावली पर पटाखों के जलाने से मेरी भूख का क्या संबंध है?’’
 चूहे ने कहा-‘‘वही तो बता रहा हूं। आप तो जानते ही हैं कि प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। मोतीवन के दोनों तालाब का पानी लगातार घट रहा है। इस बार तो बारिश भी नहीं हुई। बम पटाखों से निकलने वाली गैसें और प्रदूषण से उत्सर्जित कार्बन ने ओजोन परत में सुराख कर दिया है। ये सुराख बढ़ता ही जा रहा है। गरमी बढ़ रही है। सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गर्मियों में गर्मी बढ़ रही है। क्या आप नहीं जानते? जानते हैं न?’’
रंगी सियार बीच में ही बोल पड़ा-‘‘महाराज। ये  चूहा बहुत चालाक है। अब ये आपको कहानी सुनाने लगा है। इसने बैठक में भी कई जानवरों को बहला-फुसला दिया है। इसकी बात मत सुनो। ये कहां की कहां लगा रहा है।’’
लोमड भी रंगी सियार की हां में हां मिलाते हुए कहने लगा-‘‘लगता है यह अपनी जान बचाने का कोई तरीका खोज रहा है। किस्सा-कहानी सुनाने से आपकी भूख का क्या मतलब है?’’
शेर सिंह ने चूहे से कहा-‘‘रुको तो। ये नई-नई बात बता रहा है। अच्छा चूहे ये तो बता कि ये ओजोन परत क्या है? उससे हमारा क्या लेना-देना? तू बात तो दिलचस्प कह रहा है।’’
 चूहे ने बताया-‘‘बताता हूं। हमारे आसमान में एक छतरीनुमा विशालकाय परत है। जिस प्रकार छतरी धूप-बारिश से बचाती है उसी प्रकार ये ओजोन परत सूरज की तीव्र और नुकसान पहुंचाने वाली किरणों को धरती पर आने से रोकती है। लेकिन इस ओजोन परत पर सुराख हो गया है। यह सुराख बढ़ता ही जा रहा है। अब यदि हम सुराख वाली छतरी लेकर घूमेंगे तो बारिश में भीग जाएंगे। इसी प्रकार अब सूरज की तीव्र किरणें उस सुराख से सीधे धरती तक आ रही है। इस कारण धरती पर असाधारण बदलाव दिखाई देने लगे हैं। जिनकी बात मैंने पहले भी की थी।’’
शेर ने पूछा-‘‘बदलाव ! कौन से बदलाव की बात कर रहा है तू?’’
 चूहे ने बताया-‘‘जैसे अधिक गर्मी का होना। अधिक बारिश का होना। सूखा पड़ना या कहीं बाढ़ आना। बेमौसम में बारिश का होना। कहीं बहुत बारिश होना तो कहीं एक बूंद का न गिरना। ’’
शेर ने पूछा-‘‘ओह ! लेकिन यार ये तो बता कि बमपटाखों से ओजोन परत का क्या संबंध है?’’
च्ूहा बोला-‘‘संबंध है तभी तो कह रहा हूं कि बम-पटाखें हम सब के लि खतरनाक हें। बम-पटाखों को जलाते समय इनसे मैग्नेशियम कार्बन मोनो अक्साइड, कापर मैग्नेशियम सल्फर नाइट्रोजन भारी मात्रा में निकलती है। इन गैसों की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है। प्रदूषण बढ़ता है और ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है।’’
शेर बोला-‘‘हुं। ये बात है। मैं समझ गया। लेकिन मेरे भूखे रह जाने का क्या मतलब है? ये तो बता। ’’
 चूहे ने कहा-‘‘जी बताता हूं। यदि ओजोन परत का सुराख बढ़ता ही जाएगा तो सूरज की किरणे सीधे हम तक बहुत तेजी से पहुंचने लगेंगी। वे किरणें बेहद हानिकारक होती हैं। धरती गर्म से और गर्म हो जाएगी। होती जाएगी। होती जाएगी। हमारा जीना मुहाल हो जाएगा। घास हरे-भरे वृक्ष झुलस कर सूख जाएंगे। बारिश नहीं होगी। शाकाहारी जीव बिना घास-पात के मर जाएंगे। जब शाकाहारी जीव ही नहीं रहेंगे तो आप मांसाहारी भोजन कैसे कर पाएंगे? क्या आप घास खाएंगे। घास भी कहां से खाओगे? जब बारिश ही नहीं होगी तो घास कहां उगेगी। तालाब सूख जाएंगे तो बिना पानी के कितने दिन रहोगे?’’
शेर सिंह गुर्राया-‘‘ ये बात है।  चूहे जी तुम सही कहते हो। आज से तुम मोतीवन के ही नहीं, मेरे भी सलाहकार बनाए जाते हो। आज से तुम मेरे आस-पास ही रहोगे।’’
लोमड बीच में ही बोल पड़ा-‘‘मगर महाराज। आपका सलाहकार तो मैं हूं। मैं आपको हर बार नई से नई सूचना देता रहता हूं। मेरा क्या होगा?’’
शेर सिंह दहाड़ा-‘‘चुप रहो। तुम और रंगी सियार अभी जाओ। समूचे मोतीवन में एक-एक जीव को, एक-एक जंतु को बता दो कि इस बार से दीपावली सादगी से मनाई जाएगी। यही नहीं दीपावली के अवसर पर हम मोतीवन में विशाल वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खुदवाएंगे। पौधशाला का निर्माण कराएंगे। बरसात आते ही विशाल वृक्षारोपण किया जाएगा। जाओ। सुनो। बम-पटाखों को जलाने वालों के लिए कड़ी से कड़ी सजा देने का फैसला भी किया जाता है। इसे भी सुना दो।’’
लोमड और रंगी सियार दुम दबाकर मोतीवन की ओर दौड़ पड़े। वहीं दरबारी नये सलाहकार के स्वागत में चूहे के लिए तालियां बजा रहे थे। पीपल के पेड़ के नीचे एक बैठक फिर से बुलाई जाने वाली थी। इस बैठक में नई दीवाली को मनाने की कार्ययोजना बनाने की तैयारी भी शुरू हो गई थी। 
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मनोहर चमोली ‘मनु’,भितांई,पोस्ट बाॅक्स-23,पौड़ी 246001 उत्तराखण्ड।
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